ट्रैक्टर से ढोई जा रही है बिना ढके मिट्टी व रेत
Soil and sand are being transported without covering by tractor
कोईलवर: कोईलवर और गीधा थाना क्षेत्र में नेशनल हाईवे व राज्य की सड़कों पर मिट्टी व रेत से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रालियां बगैर तिरपाल से ढके सरेआम दौड़ती हैं। ऐसे ये दोपहिया वाहन चालकों के लिए दुर्घटना का कारण बनी हैं। ट्रॉली के जंप से मिट्टी के बड़े-बड़े टीले सड़क पर गिर जाते हैं जिससे फोरलेन पर जल छिड़काव और ओस से फिसलन पैदा हो जा रही है।जिससे दो पहिए वाहनों के लिए दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही सड़क भी क्षतिग्रस्त हो रही है। क्षेत्र में भूमि भड़ाव, ईट भट्टों, मकान के लिए मिट्टी ढुलाई हो रही है। मोटी रकम कमाने और जल्दी मिट्टी पहुंचाने की होड़ में चालक वाहन नियमों की अवहेलना कर वाहन चलाते हैं। ट्रैक्टर के ट्रॉली के पीछे इंडिकेटर लाइट नहीं होने से कई घटनाएं सामने आती हैं।
उधर, ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रालियों पर नकेल कसने में स्थानीय पुलिस नाकाम सिद्ध हो रही है।
बता दें बगैर ढके मिट्टी व रेत से लदे ओवरलोड वाहन जब चलते हैं तो पीछे से आ रहे दोपहिया वाहन चालकों की आंखों में इनमें से उड़ती मिट्टी व रेत आंख में पड़ जाते हैं। इससे वे सड़क दुर्घटना का शिकार होकर घायल हो जाते हैं। इन्हें चलाने वाले किसी न किसी सियासी दल के चहेते हैं, जो पुलिस को अपने आकाओं का धौंस दिखाकर अवैध माइनिग कर सरकारी खजाने को चूना लगाकर अपनी जेबें भर रहे हैं। या फिर ट्रैफिक पुलिस का काम केवल मोटरसाइकिल सवारों से ही अपना कोरम पूरा हो जाता है?
वहीं गांवों में माइनिंग से लदे वाहन गुजरते हैं तो उसके टायरों से उड़ती धूल से लोग एलर्जिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं और गांव वाले भी परेशान हैं।
कोईलवर,बबुरा,आरा,संदेश व सीमावर्ती इलाके में दिनभर करीब दर्जनों वाहन अवैध माइनिग कर रेत-मिट्टी की ढोया ढुलाई कर रहे हैं। यहां इससे गांव के लोग परेशान हैं, वहीं कस्बे के दुकानदार भी इन वाहनों के आवागमन के कारण परेशान हैं। लोगों का कहना है कि रेत व मिट्टी से लदे ओवरलोड वाहन शहर से गुजरते समय ओवरस्पीड से निकलते हैं। इससे हर समय किसी दुर्घटना का भय बना रहता है। ट्रालियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा जाए ताकि लोगों को दुर्घटनाएं व गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकें।
यह है नियम
1) रेत-मिट्टी को लेकर चलने वाले वाहन चालकों के लिए पर्यावरण और माइनिग विभाग ने नियम निर्धारित किए हैं। ऐसे वाहनों में भरी रेत-मिट्टी को तिरपाल से ढंककर ले जाना चाहिए।
2) ऐसे वाहनों के टायरों से उड़ने वाले धूल को रोकने के लिए पानी का छिड़काव करना। हालांकि इन नियमों की सरेआम अवहेलना की जा रही है।
3) खेत से डेढ़ मीटर तक मिट्टी उठाई जा सकती है। इतनी मिट्टी उठाने पर जमींदार को किसी प्रकार की कोई फीस अदा नहीं करनी होगी। यदि वह ट्रैक्टर ट्राली से मिट्टी उठाकर दूर ले जा रहा है तो इसकी जानकारी खनन विभाग को देनी होगी। किसान मिट्टी समतल कर रहा है या उसे हटा रहा है तो पंजीकरण की अनिवार्यता भी नहीं है। और ट्रैक्टर-ट्राली से मिट्टी उठाने पर पंजीकरण में चाहिए दस्तावेज
4) खनन विभाग के नियमानुसार किसान पर कोई शुल्क नहीं है। पंजीकरण के लिए उन्हें आधार कार्ड, पेन कार्ड, शपथपत्र देना होगा। इसके अलावा यदि कोई व्यावसायिक प्रयोग करता है तो उसे डेढ़ मीटर मिट्टी उठान के लिए हजारों रुपये की राशि का भुगतान विभाग को करना होगा, यह नियम अलग अलग राज्यों में भिन्न होता है।
मिट्टी की ट्राली पर तिरपाल जरूरी
व्यापार या निजी प्रयोग के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ट्रैक्टर की ट्रॉली को तिरपाल से ढक कर ही ले जाने का नियम है। फिर भी इसकी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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