अस्पताल की शिफ्टिंग की देरी से मरीजों को झेलनी पड़ रही है समस्याएं
कोईलवर: कोईलवर पीएचसी अस्पताल से सीएचसी में अपग्रेड होने और भवन के उद्घाटन के बावजूद भी शिफ्टिंग के कार्य में बिलंब हो रहा है। जिससे पदस्थापित कर्मियों के साथ मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अभी भी प्रखण्ड परिसर में एक भवन में अस्पताल चल रहा है। ओपीडी के लिए मरीजों को पहली बिल्डिंग में पुर्जा कटवाकर 100 मीटर की दूरी पर दूसरी बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर चढ़कर चिकित्सक से जांच कराया जाता है। फिर पुर्जा कटने वाली बिल्डिंग में जाकर दवा लेनी पड़ती है। जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसमें खासकर दिव्यांग और वृद्ध मरीजों को काफी दिक्कत होती है। लेकिन नए भवन में ऐसी समस्याएं मरीजों को नहीं होगी। एक ही फ्लोर पर पुर्जा, जांच और दवा उपलब्ध होगी। जिससे अकेला आया मरीज भी समस्यामुक्त होगा।
लेकिन अस्पताल के नए भवन बन जाने और प्रदेश मुखिया के हाथों उद्घाटन के बावजूद भी अस्पताल शिफ्टिंग का कार्य नहीं किया जा रहा है। जिससे सभी परेशान हैं।
डिजी नहीं होने और सफाई के कारण शिफ्टिंग नहीं: चिकित्सा पदाधिकारी
कोईलवर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी उमेश कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल के नए भवन में डिजिटल जनरेटर नहीं होने से और परिसर में सफाई नहीं होने से वे नए भवन में शिफ्ट हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि करोड़ो की लागत से बना नया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अंदर से चकाचौंध कर दिया गया लेकिन बिल्डिंग के बाहर गंदगी और डिजिटल जनरेटर नहीं होने से मरीजों सहित कर्मियों को भी दिक्कत होगी। बिजली जाने के बाद ऑपरेशन के दौरान अंधेरे में काफी समस्याएं होगी। ठीकदार द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है। उसने अपना काम आधा अधूरा किया है। इसलिए हमलोग प्रखण्ड परिसर में स्थित अस्पताल की शिफ्टिंग नए भवन में नहीं कर रहे हैं।
मिलेंगी ये सभी सुविधाएं
कोईलवर अवस्थित अस्पताल को तोड़ कर नया भवन बन कर तैयार हो गया है। नए साल के मार्च महीने में बिहार सरकार द्वारा बिहार के मरीजों के लिए नई सौगात मिलने जा रही है। जिससे आने वाले मरीजों को एक से बढ़कर एक सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
कोईलवर नगर पंचायत में अवस्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड करके नई सुविधाओं को जोड़कर और पहले से ज्यादा एडवांस बनाया गया है। पहले कुल 8 ही बेड थे। अब 8 से बढ़कर 30 बेड कर दिया गया है। कुल 7 करोड़ की लागत से बना यह अस्पताल नई तकनीकों से लैस है। जो सामुदायिक अस्पताल से जाना जाएगा। इसमें चिकित्सकों की संख्या और स्टॉफ की भी संख्या को भी बढ़ाया गया है।
कोईलवर पीएचसी अस्पताल के प्रभारी उमेश कुमार सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा इस फैसले से कोईलवर और आसपास के लोगों को काफी फायदा होगा। कोईलवर मानसिक आरोग्यशाला, कोईलवर ब्लॉक, कोईलवर थाना, कोईलवर नगर पंचायत, कोईलवर स्टेशन आदि होने से और बगल से ही 922 राष्ट्रीय मार्ग होने से कोईलवर पीएचसी अस्पताल पर दबाव ज्यादा था। बेड और सुविधाओं की कमी होने से ज्यादातर मरीजों से प्राथमिक उपचार के बाद जिला सदर अस्पताल भेजना पड़ता था। जिसमें कुछ रोगी गम्भीर होते थें। लेकिन कोईलवर पीएचसी के अपग्रेडेशन से मरीजों के लिए कारगर साबित होगा।
कुल्हाड़ियां निवासी श्याम बाबू पासवान बताते हैं कि नए वर्ष के मार्च में नए अस्पताल की सौगात की ख़बर सुनकर वाकई में खुसी की तरंग लोगों में दौड़ रही है। चूंकि हर कोई अस्पताल जाना नही चाहता लेकिन अगर उसकी नौबत आती है तो सुविधाओं के कारण लोगों को निजी अस्पताल में मोटी रकम जैसे खर्चे बच जाएंगे। अनुमान के अनुसार फरवरी में लोगों के लिए नए अस्पताल कम्प्लीट होने की सम्भावना थी लेकिन फंडिंग के कारण इसमें विलंब हुआ।
कोईलवर पीएचसी के अपग्रेडेशन से पहले से अधिक सुविधाएं उपलब्ध है। जिसमें बेड की संख्या 30 है। रोस्टर अनुसार प्रत्येक दिन स्पेशलिस्ट चिकित्सक मौजूद होंगें। ऑपेरशन में प्रयुक्त होने वाले नवीन तकनीकी का प्रयोग हुआ है। ऑक्सीजन का प्रचुर उपलब्धता है। दिव्यांग और चलने में असमर्थ मरीजों के लिए व्हील चेयर के पथ भी मौजूद है। हर फ्लोर पर शौचालय सहित पीने के पानी लगाएं गए हैं। वाहनों के लिए अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
What's Your Reaction?